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राठौड़ों की कुलदेवी नागणेची माता का इतिहास ( History of Nagnechi Mata )

नागणेची माता का पूरा इतिहास

राठौड़ों की कुलदेवी कौन है

Nagnechiya Mata is kuldevi of all Rathore Rajputs.

नागणेची माता इतिहास
नागणेची माता इतिहास


राठौड़ वंश में कुलदेवी के रूप में नागणेचियां माता जी पूजित है। परम्परा से पूर्व में राठेश्वरी, चक्रेश्वरी, पंखिणी आदि नामों से राठौड़ों द्वारा पूजा जाता रहा है। भारत में शक्ति की उपासना प्राचीनकाल से ही अनवरत चली आ रही है।

नागणेची माता का मंदिर कहां स्थित है

Nagnechiya Mata is kuldevi of all Rathore Rajputs
Nagnechiya Mata is kuldevi of all Rathore


Nagnechiya Mata is kuldevi of all Rathore Rajputs. Main temple of Mata Nagnechiya is located in village Nagana near Jodhpur in Pachpadra tehsil. राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी चक्रेश्वरी, राठेश्वरी, नागणेची या नागणेचिया के नाम से प्रसिद्ध है । नागणेचिया माता का मन्दिर राजस्थान में जोधपुर जिले के नागाणा गांव में स्थित है। यह मन्दिर जोधपुर से 96 किमी. की दूरी पर है। प्राचीन ख्यातों और इतिहास ग्रंथों के अनुसार मारवाड़ के राठौड़ राज्य के संस्थापक राव सिन्हा के पौत्र राव धूहड़ (विक्रम संवत 1349-1366) ने सर्वप्रथम इस देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया ।


नागणेची माता का पूरा इतिहास

        Naganechi mata mandir ka video

जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने राठौड़ों की कुलदेवी माता नागणेच्या मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 1523 में मेहरानगढ़ में की थी। जोधपुर राज्य की ख्यात में लिखा है कि ‘राव धुहड़ विक्रम संवत 1248 ज्येष्ठ सुदी तेरस ने कर्नाटक देश सूं कुल देवी चक्रेश्वरी री सोना री मूरत लाय न गांव नागाणे थापत किवी। तिनसु नागणेची कहाई।’ मूर्ति में सिंह पर सवार मां नागणेच्या के मस्तक पर नाग फ न फैलाए हैं। माता के हाथों में शंख चक्र आदि हैं। नागणेच्या माता को मंशा देवी, राठेश्वरी, पंखणी माता के नाम से भी संबोधित किया गया है।

Nagnechya Mata Mandir
Nagnechya Mata


 मेहरानगढ़ के जनाना महल में प्रवेश करते समय दायीं तरफ माता नागणेच्याजी का मंदिर बना हुवा है इतिहास के पन्नों में राठौड़ों का मारवाड़ आगमन 13वीं शताब्दी के मध्य माना गया है। प्राचीन ख्यातों और इतिहास ग्रंथों के अनुसार मारवाड़ के राठौड़ राज्य के संस्थापक राव सिन्हा के पौत्र राव धूहड़ (विक्रम संवत 1349-1366) ने सर्वप्रथम इस देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया, नागणेचिया माता का मन्दिर राजस्थान में जोधपुर जिले के नागाणा गांव में स्थित है। यह मन्दिर जोधपुर से 96 किमी. की दूरी पर है।

नागणेची माता का जन्म कब हुआ?

चक्रेश्वरी माता नागाणा


जोधपुर राज्य की ख्यात में लिखा है कि ‘राव धुहड़ विक्रम संवत 1248 ज्येष्ठ सुदी तेरस ने कर्नाटक देश सूं कुल देवी चक्रेश्वरी री सोना री मूरत लाय न गांव नागाणे थापत किवी। तिनसु नागणेची कहाई।

नागणेची माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

चक्रेश्वरी माता नागाणा


राव धुहडजी ने होनी को नमस्कार किया और उसी अर्ध प्रकट मूर्ति के लिए सन् 1305, माघ वदी दशम सवत् 1362 ई. में मन्दिर का निर्माण करवाया। चक्रेश्वरी माता नागाणा में मूर्ति रूप में प्रकटी, अतः वह नागणेची रूप में प्रसिद्ध हुई।

राठौड़ वंश की कुलदेवी कौन है?

nagnechi mata photo


इन रणबंका राठौड़ो की कुलदेवीनागणेची “ है। देवी का ये “ नागणेची “ स्वरुप लौकिक है। ‘नागाणा ‘ शब्द के साथ ‘ ची ‘ प्रत्यय लगकर ‘ नागणेची ‘ शब्द बनता है , किन्तु बोलने की सुविधा के कारण ‘ नागणेची ‘ हो गया।

नागणेची माता का मेला कहाँ लगता है?

nagnechi mata history


अठारह भुजायुक्त नागणेची माता के नागाणा स्थित इस मन्दिर में माघ शुक्ल सप्तमी और भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को प्रतिवर्ष मेला लगता है। और लापसी, खाजा का भोग लगता है। सप्त धागों को कुंकुम रंजित कर माता का प्रसाद मानकर सभी राखी बांधते हैं। श्री नागणेची माता के मन्दिर जालोर, जोधपुर, बीकानेर आदि के किलों में भी है।

नागणेची माता कौन थी?

nagnechi mata photo


नागणेच्या माँ (नागणेची मां) सूर्यवंशी राठौड़ राजपूतों की एक कुलदेवी है। इतिहास के अनुसार राव शिओजी के पोत्र राव दूहड़ एक बार कन्नौज गए जहां पर राठौड़ राज करते थे। और इन्होंने राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में नागणेच्या मां के मन्दिर की स्थापना की थी

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Rj Deependra


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