पाबूजी राठौड़ जीवनी - Biography of Pabuji Rathod in Hindi Jivani

पाबूजी राठौड़ जीवनी - Biography of Pabuji Rathod in Hindi Jivani

केसे हो सभी ! आशा करता हूं की आप सभी अच्छे है तो ठीक है हम आज के टॉपिक पर बात करते है

पता है आप को की एक टाइम था की मुख से निकले वचन अपने परानो से कही ज्यादा महवपूर्ण रखते थे इसी परकार से श्री पाबूजी महाराज ने परानों का बलिदान गायों की रक्षा करते हुवे दिया था तो आज इन्ही महान पुरुष और राजस्थान के लोक देवता श्री पाबूजी राठौड़ के पूरे जीवन पर प्रकाश डालेंगे यानी की इनके इतिहास के बारे में जानेंगे
पाबूजी राठौड़ का इतिहास
श्री पाबूजी महाराज राठौड़ 



पाबूजी राठौड़ ( महाराज ) कि कथा :


फेरां सुणी पुकार जद, धाडी धन ले जाय |
आधा फेरा इण धरा , आधा सुरगां खाय ||

पाबूजी राठौड़ का परिचय : 


नाम                 : पाबूजी राठौड़
पिता                : धांधल जी राठौड़
माता                : कमलादे
जन्म स्थान       : कोलू ( फलोदी )
जन्म                : वि. स. 1313
धर्म                  : हिंदू
घराना               : राठौड़ ( राजपूत )
बलिदान दिवस  :
निधन स्थान      : देचू

पाबूजी राठौड़ का संपूर्ण इतिहास ( Pabuji rathore History )



पाबूजी महाराज का जन्म फलोदी के कोलू नामक ग्राम में वि. स. 1313 (1256) को राव धांधल जी राठौड़ के घर में हुवा जैसा कि बड़े बुरुजग कहते की पाबूजी महाराज की माता कमलादे एक देवीय सकती का रूप थी जिन्होंने धांधल जी से एक वचन मांग रखा था की वे कभी भी उनके सयन कक्ष में उन्हें बिना सूचना के कभी भी अंदर नहीं आएंगे अगर ऐसा होता है तो वो हमेसा के अर्दरसय हो जाएंगे इसी परकार से एक दिन जब मां कमलादे जी बालक रूपी पाबूजी राठौड़ को जब स्तन पात करवा रहे थे तो बिना किसी सूचना के धांधल जी कक्ष में चले जाते है तो वो देखते है की एक सिंहनी बालक पाबूजी को स्तन पात करवा रही थी यह देखा कर वो चोक गए और जैसे ही सिंहनी की नजर धांधल जी पर पड़ती है तो वो अपने असली रूप में ( कमलादे ) के रूप में आजाते है और धांधल जी को कहते है की अब मेरा यह इतना ही टाइम था में। बालक पाबूजी को एक घोड़ी के रूप में मिलूंगी और यह बोलकर माता कमलादे अर्दर्स्य हो जाते है

श्री पाबूजी राठौड़ भगवान के अवतार थे


बड़ेरो ने महाराज श्री पाबूजी राठौड़ को भगवान लक्ष्मणजी का अवतार बताया है। इनकी प्रतिमा में हाथ में भाला लिए हुए तथा एक अश्वरोही ( घुड़ सवार ) के रूप में अंकित किया गया है।


Deependra Singh Rathore

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