Chhatrapati Shivaji Maharaj history in hindi 2020
Chhatrapati Shivaji Maharaj history in hindi
छत्रपति शिवाजी महाराज: जीवनी, इतिहास और प्रशासन
Chhatrapati Shivaji Maharaj |
Chhatrapati Shivaji Maharaj History in Hindi | छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास
भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया।
शिवाजी के बारे में तथ्यात्मक जानकारी (Factual Information about the Shivaji)
नाम :- शिवाजी भोंसले
जन्म तिथि :- 19 फरवरी, 1630 या अप्रैल 1627
जन्म स्थान :- शिवनेरी किला, पुणे जिला, महाराष्ट्र
पिता :- शाहजी भोंसले
माता :- जीजाबाई
शासनकाल :- 1674–1680
जीवनसाथी :- साईबाई, सोयाराबाई, पुतलाबाई, सकवरबाई, लक्ष्मीबाई, काशीबाई
बच्चे :- संभाजी, राजाराम, सखुबाई निम्बालकर, रणुबाई जाधव, अंबिकाबाई महादिक, राजकुमारबाई शिर्के
धर्म :- हिंदू धर्म
मृत्यु :- 3 अप्रैल, 1680
शासक :- रायगढ़ किला, महाराष्ट्र
उत्तराधिकारी :- संभाजी भोंसले
शिवाजी का राज्याभिषेक :- 1674 ई. में, शिवाजी ने खुद को मराठा साम्राज्य का स्वतंत्र शासक घोषित किया और उन्हें रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी के रूप में ताज पहनाया गया था. उनका राज्याभिषेक मुगल सल्तनत के लिए चुनौती बन गया था.
राज्याभिषेक के बाद, उन्हें हैडवा धर्मोधरका ’(हिंदू धर्म के रक्षक) का खिताब मिला था. यह ताजपोशी लोगों को भू-राजस्व इकट्ठा करने और कर लगाने का वैध अधिकार देती है.
शिवाजी की 8 पत्नियां
उस समय की मांग के अनुसार तथा सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने के लिए महाराज को 8 विवाह करने पडे़।
सईबाई निम्बालकर - (बच्चे: संभाजी, सखुबाई, राणूबाई, अम्बिकाबाई); सोयराबाई मोहिते - (बच्चे- दीपबै, राजाराम); पुतळाबाई पालकर (1653-1680), गुणवन्ताबाई इंगले; सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, सकवारबाई गायकवाड़ - (कमलाबाई) (1656-1680)।
शिवाजी का प्रशासन (Shivaji’s Administration)
शिवाजी का प्रशासन काफी हद तक डेक्कन प्रशासनिक प्रथाओं से प्रभावित था. उन्होंने आठ मंत्रियों को नियुक्त किया जिन्हें 'अस्तप्रधान' कहा गया था, जो उन्हें प्रशासनिक मामलों में सहायता प्रदान करते थे.उनके शासन में अन्य पद थे;
1. पेशवा: सबसे महत्वपूर्ण मंत्री थे जो वित्त और सामान्य प्रशासन की देखभाल करते थे.
2. सेनापति: ये मराठा प्रमुखों में से एक थे. यह काफी सम्मानीय पद था.
3. मजूमदार (Majumdar): ये अकाउंटेंट होते थे.
4. सुरनवीस या चिटनिस (Surnavis or chitnis): अपने पत्राचार से राजा की सहायता करते थे.
5. दबीर (Dabir): समारोहों के व्यवस्थापक थे और विदेशी मामलों से निपटने में राजा की मदद करते थे.
6. न्यायधीश और पंडितराव: न्याय और धार्मिक अनुदान के प्रभारी थे.
इस प्रकार शिवाजी की जीवनी पढने से स्पष्ट है कि वे एक न केवल एक कुशल सेनापति, एक कुशल रणनीतिकार और एक चतुर कूटनीतिज्ञ था बल्कि एक कट्टर देशभक्त भी थे. उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए औरंगजेब जैसे बड़े मुग़ल शासक से भी दुश्मनी की थी.
छत्रपती शिवाजी महाराज की मृत्यु और उत्तराधिकार
विष दिलाने के बाद शिवाजी महाराज की मृत्यु 3 अप्रैल 1680 में हुई। उस समय शिवाजी के उत्तराधिकार संभाजी को मिले। शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र संभाजी थे और दूसरी पत्नी से राजाराम नाम एक दूसरा पुत्र था। उस समय राजाराम की उम्र मात्र 10 वर्ष थी अतः मराठों ने शम्भाजी को राजा मान लिया। उस समय औरंगजेब राजा शिवाजी का देहान्त देखकर अपनी पूरे भारत पर राज्य करने कि अभिलाषा से अपनी 5,00,000 सेना सागर लेकर दक्षिण भारत जीतने निकला। औरंगजेब ने दक्षिण में आते ही अदिल्शाही २ दिनो में और कुतुबशाही १ ही दिनो में खतम कर दी। पर राजा सम्भाजी के नेतृत्व में मराठाओ ने ९ साल युद्ध करते हुये अपनी स्वतन्त्रता बरकरार रखी। उसने अन्ततः 1689 में संभाजी के बीवी के सगे भाई याने गणोजी शिर्के की मुखबरी से संभाजी को मुकरव खाँ द्वारा बन्दी बना लिया। औरंगजेब ने राजा संभाजी से बदसलूकी की और बुरा हाल कर के मार दिया। आखिरकार 25 साल मराठा स्वराज्य के युद्ध लड के थके हुये औरंगजेब की उसी छ्त्रपती शिवाजी के स्वराज्य में दफन हुये।
शिवाजी की राजमुद्रा
शिवाजी की राजमुद्रा संस्कृत में लिखी हुई एक अष्टकोणीय मुहर (seal) थी जिसका उपयोग वे अपने पत्रों एवं सैन्यसामग्री पर करते थे। उनके हजारों पत्र प्राप्त हैं जिन पर राजमुद्रा लगी हुई है।
शिवाजी की धार्मिक नीति
शिवाजी एक धर्मपरायण हिन्दु शासक थे तथा वह धार्मिक सहिष्णु भी थे। उनके साम्राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता थी। शिवाजी हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देते थे। पारम्परिक हिन्दू मूल्यों तथा शिक्षा पर बल दिया जाता था। अपने अभियानों का आरम्भ वे प्रायः दशहरा के अवसर पर करते थे।
शिवाजी की प्रमुख तिथियां और घटनाएं
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1594 : शिवाजी महाराज के पिता शाहजी भोंसले का जन्म
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1596 : माँ जीजाबाई का जन्म
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1630/2/19 : शिवाजी महाराज का जन्म।
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1630 : से 1631 तक महाराष्ट्र में अकाल
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14 मई 1640 : शिवाजी महाराज और साईबाई का विवाह
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1646 : शिवाजी महाराज ने पुणे के पास तोरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
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1656 : शिवाजी महाराज ने चन्द्रराव मोरे से जावली जीता।
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10 नवंबर, 1659 : शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध किया।
· 5 सितंबर, 1659 : संभाजी का जन्म।
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1659 : शिवाजी महाराज ने बीजापुर पर अधिकार कर लिया।
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6 से 10 जनवरी, 1664 : शिवाजी महाराज ने सूरत पर धावा बोला और बहुत सारी धन-सम्पत्ति प्राप्त की।
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1665 : शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के साथ पुरन्धर शांति सन्धि पर हस्ताक्षर किया।
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1666 : शिवाजी महाराज आगरा कारावास से भाग निकले।
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1667 : औरंगजेब राजा शिवाजी महाराज के शीर्षक अनुदान। उन्होंने कहा कि कर लगाने का अधिकार प्राप्त है।
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1668 : शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच शांति सन्धि
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1670 : शिवाजी महाराज ने दूसरी बार सूरत पर धावा बोला।
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1674 : शिवाजी महाराज ने रायगढ़ में 'छत्रपति'की पदवी मिली और राज्याभिषेक करवाया । 18 जून को जीजाबाई की मृत्यु।
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1680 : शिवाजी महाराज की मृत्यु।
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