karni mata history in hindi

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karni mata history in hindi 


Shree Karni Mata Temple is a Hindu Temple Dedicated to Shree Karni Mata at Deshnoke, 30 km from Bikaner in Rajasthan, India. It is also known as the Temple of Rats.These holy rats are called Kabbas and many people travel great distances to pay their respects. 

करणी माता का जन्म करणीमाता का जन्म संवत 1444 जोधपुर जिले के सुवाप नामक गांव में हुआ!!! करणीमाता के पिताजी का नाम श्री मेहाजी चारण था व माता का नाम देवलबाई था! उनका बचपन का नाम रिघुबाई था। इनका विवाह 'साठीका गाँव' के चारण बीठू केलु के पुत्र देपाजी बीठू से हुआ, किन्तु भोग-विलास से विरक्त होते हुए उन्होंने पति को समझाया और अपने पति का विवाह अपनी दूसरी बहिन गुलाब कुँवरी से करवाकर जनकल्याण, अलौकिक कार्य और चमत्कारिक शक्तियों के कारण रिघु बाई को करणी माता के नाम से स्थानीय लोग पूजने लगे। जिन्हे भक्त माँ जगदम्बा का अवतार मानते है, बताते हैं कि करनी माता 151 वर्ष जिन्दा रहकर 23 मार्च 1538 को ज्योतिर्लिन हुई थी। 

Karni Mata (Riddhi Bai) was daughter of Meha ji, residing at Suwap village. And she was married to Depa ji Charan, residing in the village of Sathika. However, she later expressed unwillingness to her husband to engage in conjugal relations. He initially humoured her, thinking that she would relent in time. Instead, Karni arranged for him to marry her younger sister, Gulab, so that he might have a proper married life. She herself remained celibate all her life with the agreement and support of her husband

करणी माता का मन्दिर करणी माता का मन्दिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है जो राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। इसमें देवी करणी माता की मूर्ति स्थापित है। यह बीकानेर से 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में देशनोक में स्थित है। करणी माता का जन्म चारण कुल में हुआ यह मन्दिर चूहों का मन्दिर भी कहलाया जाता है। मन्दिर मुख्यतः काले चूहों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। करणी माता का मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां पर 20 हजार चूहे रहते हैं और मंदिर में आने वाले भक्तों को चूहों का जूठा किया हुआ प्रसाद ही मिलता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक्काशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहां आते हैं। चांदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों (काबा) के प्रसाद के लिए यहां रखी चांदी की बड़ी परात भी देखने लायक है। इस मंदिरो के चूहों की एक विशेषता और है की मंदिर में सुबह 5 बजे होने वाली मंगला आरती और शाम को 7 बजे होने वाली संध्या आरती के वक्त अधिकांश चूहे अपने बिलो से बाहर आ जाते है। इन दो वक्त चूहों की सबसे ज्यादा धामा चौकड़ी होती है।
 

राजा गंगा सिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण


राजा गंगा सिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण बताते हैं कि मां करणी के आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर राज्य की स्थापना हुई थी। इस मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग 15-20 वीं सदी में करवाया था। मन्दिर के सामने महाराजा गंगा सिंह ने चांदी के दरवाजे भी बनाए थे। देवी की छवि अंदरूनी गर्भगृह में निहित है। संगमरमर के मुख्य द्वार पर की गई उत्कृष्ट कारीगरी, मुख्य द्वार पर लगे चांदी के बड़े बड़े किवाड़, माता के सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए रखी चांदी की बहुत बड़ी परात भी मुख्य आकर्षण है। मां करणी मंदिर तक पहुंचने के लिए बीकानेर से बस, जीप व टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं। बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर स्थित देशनोक रेलवे स्टेशन के पास ही है यह मंदिर। वर्ष में दो बार नवरात्रों पर चैत्र व आश्विन माह में इस मंदिर पर विशाल मेला भी लगता है। तब भारी संख्या में लोग यहां पहुंचकर मनौतियां मनाते हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशालाएं भी हैं। 

श्री करणी माता जी की आरती

जयअम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी!
भक्त जनन भय संकट, पान छिनी हरणी! ॐ जय अम्बे… 
आदि शक्ति अविनाशी,वेदन मैं वरणी! 
अगम अन्नत अगोदर,विश्वरूप धरणी! ॐ जय अम्बे… 
काली तू किरताली, दुर्गे दुःख हरणी! 
चंडी तू चिरताली, ब्राह्मणी वरणी !ॐ जय अम्बे… 
लक्ष्मी तू ही जाला,आवड़ जग हरणी! 
दत्य दलण डाटाली, अवना अवतारणी! ॐ जय अम्बे… 
ग्राम सुआप सुहाणी, धन थलहट धरणी! 
देवल माँ मेहा घर, जन्मी जग जननी! ॐ जय अम्बे… 
राज दियो रिड़मल ने, कानो खय करणी! 
धेन दुहत बणिये की, तारो कर तरणी!ॐ जय अम्बे… 
शेखो लाय सिंध सूं, पेथड़ आचरणी! 
दशरथ धान दिपायो, सांपूसुख शरणी!ॐ जय अम्बे… 
जेतल भूप जिताड़यो, कमल दल दलणी! 
प्राण बचाए बखत के , पीर कला हरणी! ॐ जय अम्बे… 
परचा गिण नही पाऊ, माँ अशरण शरणी! 
सोहण चरण शरण मैं,दास अभय करणी! ॐ जय अम्बे… 
ॐ जय अम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी! 
भक्त जनन भय संकट, पल छिनमै हरणी 

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करणी माता राठौडों व चारणों की कुल देवी है । 
करणी माता के मंदिर में सफेद चूहे काबा कहलाते है । 
नवरात्रों में देशनोक में करणी माता का मेला लगता है । 
करणी माता के बचपन का नाम रिद्धिबाईं था इनका विवाह 'साठीका गाँव' के चारण बीठू केलु के पुत्र देपाजी बीठू से हुआ 
इस मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग 15-20 वीं सदी में करवाया था। करणी माता का मंदिर देशनोक (बीकानेर) में है जिसका प्रवेश द्वार ( सिंह द्वार ) संगमरमर से बनाया गया है । करणी माताजी ने जोधपुर के मेहरानगढ दुर्ग की नींव स्वयं अपने हाथ से रखी थी साथ ही राव जोधा के पुत्र राव बीका के बीकानेर राज्य की स्थापना भी करणी माता के आशीर्वाद से ही हुईं थी । 
करणी माताजी ने लगभग 151 वर्ष तक इस भौतिक शरीर को धारण किये रखने के उपरान्त विक्रम श्री करणीजी ने महाप्रयाग कर लिया । 
This temple complex is once in a lifetime experience for anyone. Beautiful temple hosting thousands of rats. Probably only temple in whole world dedicated to rats. You can see different types of big healthy rats. People feed them, give them milk. Also, sighting a white rat here is considered lucky. 

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